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Showing posts from November, 2018

मैं चाहता हूँ मेरी आँखों में नमी भी रहे

किसी हंसी किसी भी प्यार से खुश हो जांऊँ

वाणी क्लेश का कारण है

बागों पनघट पर तो अक्सर मिलते रहते हैं

बचा ही क्या है अब के आँधियों से क्या डरना

कोई बूढ़ा समझाता है, समझ जाना चाहिए

ये उस मिटटी की बातें हैं जहाँ जय हिन्द गाते हैं

रत्नेश मेहरा शेरो-शायरी

रहनुमा जहाँ का शतरंज का प्यादा हो गया है

रत्नेश मेहरा शेर-ओ-शायरी

जरीब नापती गई जमीनों को हंसी आती रही तमासबीनों को