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RATNESH MEHRA |
बचा ही क्या है अब के आँधियों से क्या डरना
आंसुओं सिसकियों से क्या डरना
"बांसुरी" इश्क़ अब तो कर ही लिया है हमने
मौत की थपकियों से क्या डरना
कोख तक आ गई तो दुनिया में भी आने दो
फूल से बेटियों से क्या डरना
दुआएं लेके "रत्नेश" अगर चलते हो बुगुर्जो की
तमंचों गोलियों से क्या डरना
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