जरीब नापती गई जमीनों को हंसी आती रही तमासबीनों को

RATNESH KUMAR MEHRA

जरीब नापती गई जमीनों को
हंसी आती रही तमासबीनों को

अतीक्रमण की जद में इनके घर भी आएं कभी 
तब आयेगी अक्‍ल इन सभ्‍ाी कमीनों को

अब अपने लिए खुद ही दवाएं ढूढो
अब आती नहीं दया हकीमों को

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