कोई बूढ़ा समझाता है, समझ जाना चाहिए
RATNESH MEHRA |
पड़े रहोगे तो, कुछ नहीं कर पाओगे
सूरज आंगन में आता है, उठ जाना चाहिए
तजुरबा रखता है, हालाँकि चल नहीं सकता
कोई बूढ़ा समझाता है, समझ जाना चाहिए
तुमसे उम्मीदें हैं, और तुमसे ही करेंगे न
कुछ कमाते हो, तो घर भी लाना चाहिए
जो हुनरमंद हो, काबिल हो इस ज़माने के
तो कहना नहीं, कुछ कर दिखाना चाहिए
कोई पूंछे तुम्हारे, जब भी इरादे "रत्नेश"
तो उनको बोलो मुझे सारा जमाना चाहिए
Comments
Post a Comment