रत्नेश मेहरा शेरो-शायरी
रत्नेश मेहरा शेरो-शायरी
RATNESH MEHRA |
:01:
हमारे सुर नहीं लगते हैं ये सारे बहाने हैं
क्या करें अश्क जो आँखों में हैं वो भी छुपाने हैं
कभी भी शायरी में दर्द सरे बट नहीं पाते
हमारी आँखों में देखो आंसुओं के ज़माने हैं
:02:
श्रृंगार नज़्म का तेरी अदाएं बन गयीं
दिल में दबी टीस कवितायें बन गयीं
मंच पर इन्हे कभी था गुनगुना लिया
मेरी सोहरातों का जरिया ये व्यथाएँ बन गयीं
:03:
नहीं है गम तुम्हारी याद पीकर प्राण जाएँ तो
मैं दो-एक गीत फिर लिख दूँ मगर वह शाम आये तो
सजें मधुवन में सुर लहरी, खिलेंगे फूल भावों के
के मीरा गीत तो गा लेगी पर घनश्याम आये तो
:04:
भूली बिसरी बीत जाए, न यूँही अपनी जवानी
आओ मिलकर गायेंगे हम, शब्द से जाग्रत कहानी
शब्द दो शब्दों की है, अपनी कहानी प्रेम की
तुम कहो अपनी जुबानी, हम कहें अपनी जुबानी
:05:
मेरी ग़ज़लें पन्नों में ही, अपना जीवन जी लेतीं हैं|
मेरे अश्कों को देख-देख, ये ग़ज़लें भी रो लेतीं हैं||
इन ग़ज़लों को तुम एक बार,अधरों से छू लेती हो|
कुछ हम भी खुश हो लेते हैं,कुछ ये भी खुश हो लेतीं हैं||
:06:
किस कठोरता से मैं अपना जीवन जीता आया हूँ
कभी सुहाने नहीं हुए पल तम में रहता आया हूँ
उर से नहीं मिटे छाले जो तेरे जाने से आये
लगता है रोता जाऊंगा रोता दुनिया में आया हूँ
मेरी तकदीर में लेकिन यही शामिल सा लगता है
हमारे सामने तस्वीर तो आईं कई लेकिन
हटा दीं हमने सब की सब तू ही काबिल सा लगता है
:07:
जिया जाना बिना तेरे बड़ा मुश्किल सा लगता हैमेरी तकदीर में लेकिन यही शामिल सा लगता है
हमारे सामने तस्वीर तो आईं कई लेकिन
हटा दीं हमने सब की सब तू ही काबिल सा लगता है
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