Skip to main content

Posts

Featured

मैं चाहता हूँ मेरी आँखों में नमी भी रहे

Ratnesh Mehra मैं चाहता हूँ मेरी आँखों में नमी भी रहे किसी भी तरह दिल के बोझ में कमी भी रहे हूँ तो जागीरदार जख्मों का पर चाहता हूँ मेरे हिस्से में चार पैसे कुछ जमीं भी रहे चराग यूँ तो पतंगों के बड़े दुश्मन हैं ये जरुरी हैं मगर थोड़ी रौशनी भी रहे ज्यादा बे-रंग ज़िंदगी न बिताओं "रत्नेश" गीतों की महफ़िल हो शेर-ओ-शायरी भी रहे 

Latest Posts

किसी हंसी किसी भी प्यार से खुश हो जांऊँ

वाणी क्लेश का कारण है

बागों पनघट पर तो अक्सर मिलते रहते हैं

बचा ही क्या है अब के आँधियों से क्या डरना

कोई बूढ़ा समझाता है, समझ जाना चाहिए

ये उस मिटटी की बातें हैं जहाँ जय हिन्द गाते हैं

रत्नेश मेहरा शेरो-शायरी

रहनुमा जहाँ का शतरंज का प्यादा हो गया है

रत्नेश मेहरा शेर-ओ-शायरी

जरीब नापती गई जमीनों को हंसी आती रही तमासबीनों को